Considerations To Know About Hindi poetry

विक्रेता के संकेतों पर दौड़ लयों, आलापों में,

देखूँ कैसे थाम न लेती दामन उसका मधुशाला!।५१।

छैल छबीला, रसिया साकी, अलबेला पीनेवाला,

राम नाम है सत्य न कहना, कहना सच्ची मधुशाला।।८२।

यत्न सहित भरता हूँ, कोई किंतु उलट देता प्याला,

आज करे इन्कार जगत पर कल पीना होगा प्याला,

यदि इन अधरों से दो बातें प्रेम भरी करती हाला,

प्रति प्रभात में पूर्ण प्रकृति में मुखिरत होती मधुशाला।।३६।

छक जिसको मतवाली कोयल कूक रही डाली डाली

पीने वालांे को बुलवा कऱ खुलवा देना मधुशाला।।८४।

लाल सुरा click here की धार लपट सी कह न इसे देना ज्वाला,

हमें नमक की ज्वाला में भी दीख पड़ेगी मधुशाला।।७५।

तब तो मदिरा खूब खिंचेगी और पिएगा भी कोई,

'होंठ नहीं, सब देह दहे, पर पीने को दो बूंद मिले'

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